मयूरनाथ स्वामी शिव मंदिर - मायावरम
मइलादुतुरै को मयावरम या मयूरम के नाम से भी जाना जाता है। यह शहर मयूर नाथ स्वामी शिव मंदिर का घर है और इस मंदिर के नाम से शहर का नाम पड़ा। यह मंदिर दक्षिण में कावेरी तात पर स्थित है और काफी प्राचीन है। मयूरम का उल्लेख पुराने लेखो में किया गया है - "आईरम आनालूम मयूरम आहाथु (ஆயிரம் ஆனாலும் மாயூரம் ஆகாது)” इसका अर्थ है १००० विशेष स्थानो से भी मयूरम की तुलमा नहीं हो सकती। यह ६ मंदिरो में से है जिसे काशी सामान माना जाता है।
मुख्य देवता : यहाँ शिव जी मयूरनाथ स्वामी है। इस मंदिर के कई नाम है - स्रिक्लिांदीपुरम , ब्रह्मवानां , सुदवनम और ब्रह्मपुरम। अन्य देवता - नटराज , गणेश और देवी पारवती के भी तीर्थ यहाँ है।
वास्तुकला : शिवलिंग यहाँ स्वयंभू है। यह मंदिर चोला राज में बना और २००० वर्ष प्राचीन है। इस मंदिर का गोपुरम ९ स्तरीय है और विमानम् को त्रिदल विमानम् कहते है। इस मंदिर में ५ प्रकारम है। उत्तर में दुर्गा की प्रतिमा है।
मंदिर परिसर में एक बड़ा सा पानी का कुण्ड है और इसपर दो बंदरो और दो मयूरो की प्रतिमा है।
मंदिर परिसर में एक बड़ा सा पानी का कुण्ड है और इसपर दो बंदरो और दो मयूरो की प्रतिमा है।
विशेषताए : दक्ष यज्ञ के दौरान , शिव जी ने पारवती से कहा की वे यज्ञ में न जाये परन्तु पारवती ने यह बात नहीं मानी। दक्ष यज्ञ नाश्ता करने के बाद देवी पारवती को शिवजी की बात न मानने का अभिशाप मिला। उन्हें एक मोरनी बनकर जन्म लेना पड़ा ताकि वे शिव जी की उपासना कर सके। इसलिए इस स्थान को मयूरम कहते है और शिव जी को मयूरनाथ
एक और कहानी नध शर्मा और उनकी पत्नी अनैिदयाम्बिके की है। इप्पासी महीने में वे यहाँ स्नान करने पोहोचे पर महीना समाप्त हो चूका था। दुखी होकर उन्होंने रात भर शिव जी की पूजा की। शिव जी उनके स्वप्न में ए और कहा की कल सुबह स्नान कर ले और इप्पासी महीने के स्नान का आशीर्वाद पाएं। इसलिए आज भी इप्पासी के समाप्त होने पर और कार्तिके महीने की शुरुआत में भक्त यहाँ स्नान करने आते है।
देव विनायक (गणेश) यहाँ चन्दन के वृक्ष से उभरे। उन्हें अगस्त्य विनायक कहा जाता है।
नंदी की प्रतिमा कावेरी नदी के बीच है। शनि देव यहाँ ज्वाला शनि (सर के चारो और अग्नि चक्र लिए हुए ) के रूप में है जो बोहोत दुर्लभ मूर्ती है।
एक और कहानी नध शर्मा और उनकी पत्नी अनैिदयाम्बिके की है। इप्पासी महीने में वे यहाँ स्नान करने पोहोचे पर महीना समाप्त हो चूका था। दुखी होकर उन्होंने रात भर शिव जी की पूजा की। शिव जी उनके स्वप्न में ए और कहा की कल सुबह स्नान कर ले और इप्पासी महीने के स्नान का आशीर्वाद पाएं। इसलिए आज भी इप्पासी के समाप्त होने पर और कार्तिके महीने की शुरुआत में भक्त यहाँ स्नान करने आते है।
देव विनायक (गणेश) यहाँ चन्दन के वृक्ष से उभरे। उन्हें अगस्त्य विनायक कहा जाता है।
नंदी की प्रतिमा कावेरी नदी के बीच है। शनि देव यहाँ ज्वाला शनि (सर के चारो और अग्नि चक्र लिए हुए ) के रूप में है जो बोहोत दुर्लभ मूर्ती है।
समारोह : तमिल महीने इप्पासी (अक्टूबर-नवंबर ) के औरन कड़ाई मुज़्हुक्कू याने पावन स्नान किया जाता है। भक्त कावेरी में नहाकर पूजा करने मंदिर आते है।
हर वर्ष मयूरा नात्यांजलि - नृत्य समारोह किया जाता है।
हर वर्ष मयूरा नात्यांजलि - नृत्य समारोह किया जाता है।
संपर्क
दूरध्वनी : +91- 4364 -222 345
पता : Sri Mayuranathaswami Temple, Mayiladuthurai-609 001. Nagapattinam district
कालावधि : सुबह ५:३० से १२ और दोपहर ४ से ८:३० तक
दिशा निर्देश : यह स्थान तंजावूर से ७० किलोमीटर और त्रिची से १२० किलोमीटर पर है। यह चिदंबरम -तंजावूर मार्ग पर है।
हवाई अड्डा – त्रिची
रेल स्थानक – मइलादुतुरै। दक्षिण भारत के सभी शहरो से जुड़ा है
रोड से – तमिलनाडु राज्य परिवहन की बसें इस जगह के लिए सभी प्रमुख शहरों से चल रही हैं। इसके अलावा, एक उचित मूल्य पर निजी लक्जरी बसों को प्राप्त किया जा सकता है।
दुर्लभ मेध दक्षिणमूर्ति |
मयूरनाथ स्वामी शिव मंदिर मायावरम |
Travel Operator Contact Informations:
South India Vacation
Mobile : 8144977442
Email Id :southindiavacation@yahoo.com
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