परिमल रंगनाथ स्वामी विष्णु मंदिर
यह मंदिर श्री विष्णु के १०८ दिव्य देसम में से एक है। यह पांच रंग क्षेत्रो में से एक है -
पहला रंगम - श्री रंगपटना मैसूर
दूसरा - श्री रंगम त्रिची
यह मंदिर तीसरा है
चतुर्थ - श्री सारंगपाणी कुम्बकोनम
पंचम - श्री अप्पाक्कुदथन त्रिची
यह मंदिर १०००-२००० वर्ष पुराण है और इस स्थान का ऐतिहासिक नाम थिरुंद्धालूर है।
मुख्य देवता - श्री विष्णु की यहाँ एक १२ फुट ऊँची मूर्ती है और वे विश्राम के स्थिति में है।
वास्तुकला - यह मंदिर द्रविड़ शैली में बनाया गया है और इस मंदिर में चोला, विजयनगरी और नायक राज्यों के प्रभाव दिखाई देते है।
इस मंदिर के गोपुरम , एक पांच स्तरीय संरचना है। यहाँ ब्रह्मा देव के अनेको प्रतिमाये है। विष्णु देव को एक हरे रंग की शीला से बनाया गया है और उनकी सहचरी देवी परिमल रंगनायकी है। स्थानीय लोग इन्हे चन्द्रस्सापा विमोचनावल्ली या पुडरीकावल्ली के नाम से जानते है। इस मंदिर को ऐसे बनाया गया है की श्री विष्णु कावेरी और गंगा के बीच स्थित है।
इस मंदिर के मुख्य मंडप के ध्वजस्तम्भो पे दशावतार के चित्र है। मंदिर परिसर प्रसिद्ध वैष्णव तोप - नालयीरा दिव्य प्रबंधन के लिए जाना जाता है।
विशेषताए - असुर मधु और कैटाब जब वेदो को चोरी करके गए तब श्री विष्णु ने अपने आप को मत्स्यावतार (मछली के रूप) में परिवर्तित किया और वेदो को वापस ले आये। फिर उन्होंने उन वेदो को परिमल (खुशबू) प्रदान किया ताकि मत्स्य गंध से छुटकारा मिल जाये। इसीलिए इस स्थान का नाम परिमल रंगनाथन है।
एक और कहानी यह है की चन्द्र देव को यह शाप मिला की उनका आकर छोटा और छोटा होता जायेगा। उन्होंने विष्णु देव से प्रार्थना की और अपने शाप से मुक्ति पायी। इस मंदिर में चन्द्र देव का भी आसन है। संयोग से इंदुलूर का मतलब है इन्दु=चन्द्र का स्थान।
यह कहा जाता है की इस मंदिर में एक बार महान संत थिरुमंगै अज़्हवर पधारे परन्तु मंदिर के द्वार बंद हो चुके थे। संत ने भगवान विष्णु से तर्क किया की वे दरवाज़ा खोले परन्तु दरवाज़े बंद रहे। फिर संत ने यह स्थान छोड़ने का फैसला किया और कहा की - "अपनी सुंदरता अपने पास रखो, मै चला !" . इसपर भगवन विष्णु ने उन्हें भजन गाने कहा। संत आश्चर्य में पद गए की जिस भगवान को कभी देखा नहीं उसके बारे में क्या गाउ ? परान्तो अंत में उन्होंने हार मानकर १० पासुरम - विष्णु भजन रच डाले।
समारोह - ब्रह्मोत्सव यहाँ का सबसे बड़ा त्यौहार है। चित्त्री समारोह (अप्रैल -मई ) में देवता की यात्रा शुरू होती है। नवरात्री और मकर संक्रांत भी मनाया जाता है।
एकादसी के दिन एक विशेष उपवास होता है जिसमे भक्त निर्जल उपवास करते है।
तमिल के एपसी महीने में भक्त कावेरी में स्नान करने आते है।
यह मंदिर श्री विष्णु के १०८ दिव्य देसम में से एक है। यह पांच रंग क्षेत्रो में से एक है -
पहला रंगम - श्री रंगपटना मैसूर
दूसरा - श्री रंगम त्रिची
यह मंदिर तीसरा है
चतुर्थ - श्री सारंगपाणी कुम्बकोनम
पंचम - श्री अप्पाक्कुदथन त्रिची
यह मंदिर १०००-२००० वर्ष पुराण है और इस स्थान का ऐतिहासिक नाम थिरुंद्धालूर है।
मुख्य देवता - श्री विष्णु की यहाँ एक १२ फुट ऊँची मूर्ती है और वे विश्राम के स्थिति में है।
वास्तुकला - यह मंदिर द्रविड़ शैली में बनाया गया है और इस मंदिर में चोला, विजयनगरी और नायक राज्यों के प्रभाव दिखाई देते है।
इस मंदिर के गोपुरम , एक पांच स्तरीय संरचना है। यहाँ ब्रह्मा देव के अनेको प्रतिमाये है। विष्णु देव को एक हरे रंग की शीला से बनाया गया है और उनकी सहचरी देवी परिमल रंगनायकी है। स्थानीय लोग इन्हे चन्द्रस्सापा विमोचनावल्ली या पुडरीकावल्ली के नाम से जानते है। इस मंदिर को ऐसे बनाया गया है की श्री विष्णु कावेरी और गंगा के बीच स्थित है।
इस मंदिर के मुख्य मंडप के ध्वजस्तम्भो पे दशावतार के चित्र है। मंदिर परिसर प्रसिद्ध वैष्णव तोप - नालयीरा दिव्य प्रबंधन के लिए जाना जाता है।
विशेषताए - असुर मधु और कैटाब जब वेदो को चोरी करके गए तब श्री विष्णु ने अपने आप को मत्स्यावतार (मछली के रूप) में परिवर्तित किया और वेदो को वापस ले आये। फिर उन्होंने उन वेदो को परिमल (खुशबू) प्रदान किया ताकि मत्स्य गंध से छुटकारा मिल जाये। इसीलिए इस स्थान का नाम परिमल रंगनाथन है।
एक और कहानी यह है की चन्द्र देव को यह शाप मिला की उनका आकर छोटा और छोटा होता जायेगा। उन्होंने विष्णु देव से प्रार्थना की और अपने शाप से मुक्ति पायी। इस मंदिर में चन्द्र देव का भी आसन है। संयोग से इंदुलूर का मतलब है इन्दु=चन्द्र का स्थान।
यह कहा जाता है की इस मंदिर में एक बार महान संत थिरुमंगै अज़्हवर पधारे परन्तु मंदिर के द्वार बंद हो चुके थे। संत ने भगवान विष्णु से तर्क किया की वे दरवाज़ा खोले परन्तु दरवाज़े बंद रहे। फिर संत ने यह स्थान छोड़ने का फैसला किया और कहा की - "अपनी सुंदरता अपने पास रखो, मै चला !" . इसपर भगवन विष्णु ने उन्हें भजन गाने कहा। संत आश्चर्य में पद गए की जिस भगवान को कभी देखा नहीं उसके बारे में क्या गाउ ? परान्तो अंत में उन्होंने हार मानकर १० पासुरम - विष्णु भजन रच डाले।
समारोह - ब्रह्मोत्सव यहाँ का सबसे बड़ा त्यौहार है। चित्त्री समारोह (अप्रैल -मई ) में देवता की यात्रा शुरू होती है। नवरात्री और मकर संक्रांत भी मनाया जाता है।
एकादसी के दिन एक विशेष उपवास होता है जिसमे भक्त निर्जल उपवास करते है।
तमिल के एपसी महीने में भक्त कावेरी में स्नान करने आते है।
परिमल रंगनाथ स्वामी विष्णु मंदिर |
परिमल रंगनाथ स्वामी विष्णु मंदिर गोपुरम |
परिमल रंगनाथ स्वामी विष्णु मंदिर मंडपम |
संपर्क -
मंदिर दौरे की कालावधि - सुबह ६:३० से ११:३० तक और शाम ५ से ८:३० तक
पता : Sri Parimala Ranganathar Temple, Tiru Indalur, Nagapattinam district.
दूरध्वनी +91- 4364-223 330
दिशा निर्देश : मइलादुतुरै चेन्नई से २८० किलोमीटर पर है ।
हवाई अड्डा - तिरुचिरापल्ली अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा (१३० किमी )
रेल - मइलादुतुरै तथा दक्षिण भारत के सभी शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा है। यह स्थान चेन्नई-थन्जावुर मार्ग पर है।
रोड - तमिल नाडु के सभी शहरों से बसे उपलब्ध है। कुम्बकोनम में स्थित तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम की बसे भी उपलब्ध है।
translated by Ananya
Travel Operator Contact Informations:
South India Vacation
Mobile : 8144977442
Email Id :southindiavacation@yahoo.com
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