२७ नक्षत्र (तारक ) मंदिर - थिरूवोत्तरीयुर , चेन्नई
चेन्नई के पास स्थित थिरूवोत्तरीयुर , चेन्नई शहर से भी पुराना है। इस जगह को पहले आदिपुरी (पुराना गाव)भी कहते है। माना जाता है की एक भीषण बाढ़ के समय भक्तो ने भगवान शिव से प्रार्थना की। शिव जी ने "ओथरी पो " जिसका मतलब है हटकर जगह बनाओ ; ऐसा आदेश दिया। इसी वजह से इस जगह का नाम थिरूवोत्तरीयुर (तिरु + ओतरि + युर ) तमिल नाडु में स्थित किसी भी पुराने गाव में शिव और विष्णु मंदिर ज़रूर दिखाई पड़ता है। शिव को यहाँ आदिपुरेश्वरर या त्यागराज स्वामी कहते है। देवी को यहाँ वदिवुडै नायकी के नाम से जाना जाता है।
देवी के पवित्र स्थल पर एक पावन पत्थर रखा है जिसे अनेको संतो में अपने आशीर्वाद से भूषित किया है। इस मंदिर का दर्शन करने हज़ारो लोग पूर्णिमा के दिन आते है। यह मंदिर एक परिक्रमा का भाग है जो ३ मंदिरो - वदिवुडै , कोदिईदै (मिंजुर में ) और तिरुवुदाई (थिरुवन्मियूर मरुंथीस्वरर मंदिर ) को जोड़ता है। कर्णाटक संगीत के जाने माने कलाकार त्यागराज और मुथुस्वामी दीक्षितर १८ वि सदी में यहाँ आते और करते।
एक और महान संत - रामलिंग स्वामिगल (वल्लालर ) इस मंदिर में रोज आते थे। एक दिन जब वें दरहन कर घर लौटे , तब उनके घरके दरवाज़े बंद थे। वें भूके थे और उनके पास सोने के लिए भी कोई जगह नहीं थी। माना जाता है की वदिवुडै अम्मा ने स्वयं प्रकट होकर खाना खिलाया। मंदिर के इतिहास में यह कहानी कही गयी है।
मराई मलाई अदिगल को एक बार बोहोत पेट का दर्द हुआ औषधि से ठीक नहीं हो पा रहा था। इस परिसर में आकर "थिरूवोत्तरीयुर मुरुगन मुम्मानि कोवई " की रचना की। ऐसा करते ही उनका रोग पूर्णतः समाप्त हो गया। अरुनगिरीनाथर ने भी यहाँ भगवान मुरुगन के लिए भगण गाये है।
इस मंदिर की विशेष बात ये है की यहाँ हर २७ नक्षत्र में एक शिव लिंग है और हर एक की पूजा की जाती है। कुम्बकोनम के थिरुविडैमरुथुर के अलावा यह विशेषता में है। यहाँ हर राशि नक्षत्र के लोग आकर पूजा करते है।
सरकार की सहायता से इस पुरानी प्रतिमाये संरक्षित रखी जाती है। पल्लव शिल्पकला से निर्मित इस मंदिर की शोभा अभिन्न है।
आस पास के स्थान :
इस संत पट्टिनाथर की समाधी है जो तमिल नाडु के एक महान और रहस्यवादी संत रह चुके है। उनके प्रमुख शिष्य थे भद्रगिरी , कुछ लोग इन्हे उज्जैन के राजा भतृहरि के नाम से जानते है।
चेन्नई के पास स्थित थिरूवोत्तरीयुर , चेन्नई शहर से भी पुराना है। इस जगह को पहले आदिपुरी (पुराना गाव)भी कहते है। माना जाता है की एक भीषण बाढ़ के समय भक्तो ने भगवान शिव से प्रार्थना की। शिव जी ने "ओथरी पो " जिसका मतलब है हटकर जगह बनाओ ; ऐसा आदेश दिया। इसी वजह से इस जगह का नाम थिरूवोत्तरीयुर (तिरु + ओतरि + युर ) तमिल नाडु में स्थित किसी भी पुराने गाव में शिव और विष्णु मंदिर ज़रूर दिखाई पड़ता है। शिव को यहाँ आदिपुरेश्वरर या त्यागराज स्वामी कहते है। देवी को यहाँ वदिवुडै नायकी के नाम से जाना जाता है।
देवी के पवित्र स्थल पर एक पावन पत्थर रखा है जिसे अनेको संतो में अपने आशीर्वाद से भूषित किया है। इस मंदिर का दर्शन करने हज़ारो लोग पूर्णिमा के दिन आते है। यह मंदिर एक परिक्रमा का भाग है जो ३ मंदिरो - वदिवुडै , कोदिईदै (मिंजुर में ) और तिरुवुदाई (थिरुवन्मियूर मरुंथीस्वरर मंदिर ) को जोड़ता है। कर्णाटक संगीत के जाने माने कलाकार त्यागराज और मुथुस्वामी दीक्षितर १८ वि सदी में यहाँ आते और करते।
एक और महान संत - रामलिंग स्वामिगल (वल्लालर ) इस मंदिर में रोज आते थे। एक दिन जब वें दरहन कर घर लौटे , तब उनके घरके दरवाज़े बंद थे। वें भूके थे और उनके पास सोने के लिए भी कोई जगह नहीं थी। माना जाता है की वदिवुडै अम्मा ने स्वयं प्रकट होकर खाना खिलाया। मंदिर के इतिहास में यह कहानी कही गयी है।
मराई मलाई अदिगल को एक बार बोहोत पेट का दर्द हुआ औषधि से ठीक नहीं हो पा रहा था। इस परिसर में आकर "थिरूवोत्तरीयुर मुरुगन मुम्मानि कोवई " की रचना की। ऐसा करते ही उनका रोग पूर्णतः समाप्त हो गया। अरुनगिरीनाथर ने भी यहाँ भगवान मुरुगन के लिए भगण गाये है।
इस मंदिर की विशेष बात ये है की यहाँ हर २७ नक्षत्र में एक शिव लिंग है और हर एक की पूजा की जाती है। कुम्बकोनम के थिरुविडैमरुथुर के अलावा यह विशेषता में है। यहाँ हर राशि नक्षत्र के लोग आकर पूजा करते है।
सरकार की सहायता से इस पुरानी प्रतिमाये संरक्षित रखी जाती है। पल्लव शिल्पकला से निर्मित इस मंदिर की शोभा अभिन्न है।
आस पास के स्थान :
इस संत पट्टिनाथर की समाधी है जो तमिल नाडु के एक महान और रहस्यवादी संत रह चुके है। उनके प्रमुख शिष्य थे भद्रगिरी , कुछ लोग इन्हे उज्जैन के राजा भतृहरि के नाम से जानते है।
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संत पट्टिनाथर की समाधी मंदिर थिरूवोत्तरीयुर चेन्नई |
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संत पट्टिनाथर की समाधी मंदिर गोपुरम थिरूवोत्तरीयुर चेन्नई |
१७ वि सदी के महान संत - कांची शंकराचार्य के ६१ वे पुजारी श्री महा देवेन्द्र स्वामिगल की भी समाधी इसी जगह पर है।
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1) Creative Tours & Travels (India) Pvt Ltd
Name: Mr.Samson Daniel
Mob: 9224659694
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2) Stanley Ireland :
E-mail : stan.ireland@gmail.com
3) Dr Rajinikanth (T.Rajinikanth) Thiagarajan :
Mobile : 919840451135
E-mail : Dr.rajinikanth@bmhospitals.com
4) Excellent Tours and Travels :
Mobile : 9840737302
E-mail : sureshtransport@gmail.com
5) Holidays Around :
Mobile : 8754474931
E-mail : holidaysaround@gmail.com
6) Lavanya Selvarangam :
E-mail : lavanyamsw@gmail.com
7) Chennaicreative Tours and Travels India Pvt. Ltd. -IATA :
Mobile : 044-31907441
E-mail : mani@creativeholidaysindia.com
translated by - Ananya
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