कैवल्य नवनीतं - थंदवर्य स्वामिगल
थंदवर्य स्वामिगल ५०० वर्ष पूर्व तंजावूर के नितक रहते थे। ये वैदिक साहित्य के एक महत्वपूर्ण रचना के रचनाकार रहे है। यह रचना तमिल भाषा में है और इसका नाम कैवल्य नवनीतं (आत्म बोध का मक्खन). श्री रमन महर्षि के भाषणो ने इस किताब का उल्लेख कई बार होता रहा है। इस किताब को नीचे दिए गए संकेत स्थल से प्राप्त कर सकते है -
Download Kaivalya Navaneetham Tamil PDF
इस रचना का अनुवाद कई भाषाओ में हुआ है। थंदवर्य स्वामिगल की महासमाधि इल्लुपै थोप्पू में स्थित है जो नन्नीलाम तालुका में है। यह समाधी कब तक टिकी रहेगी यह तो समय ही बता सकता है। इस अधिष्ठान के बारे में अगर किसी के पास कोई जानकारी हो तो अवश्य संपर्क करे।
translated by Ananya
थंदवर्य स्वामिगल ५०० वर्ष पूर्व तंजावूर के नितक रहते थे। ये वैदिक साहित्य के एक महत्वपूर्ण रचना के रचनाकार रहे है। यह रचना तमिल भाषा में है और इसका नाम कैवल्य नवनीतं (आत्म बोध का मक्खन). श्री रमन महर्षि के भाषणो ने इस किताब का उल्लेख कई बार होता रहा है। इस किताब को नीचे दिए गए संकेत स्थल से प्राप्त कर सकते है -
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इस रचना का अनुवाद कई भाषाओ में हुआ है। थंदवर्य स्वामिगल की महासमाधि इल्लुपै थोप्पू में स्थित है जो नन्नीलाम तालुका में है। यह समाधी कब तक टिकी रहेगी यह तो समय ही बता सकता है। इस अधिष्ठान के बारे में अगर किसी के पास कोई जानकारी हो तो अवश्य संपर्क करे।
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