थिरुवाथावूर का स्फिंक्स (पुरुष मीरुगम ) मंदिर

थिरुवाथावूर का स्फिंक्स (पुरुष मीरुगम ) मंदिर  

नाम : थिरुवथावूर शिव मंदिर

स्थान  : थिरुवथावूर , मदुरई , तमिल नाडु

मुख्य देवता : भगवाव थिरुमरैनाथर (शिव) और अरनावल्लीअममायी (देवी)

इतिहास: करीब २००० वर्ष
थिरुवाथावूर पुरुष मुरुगन मंदिर - मदुरै
थिरुवाथावूर पुरुष मुरुगन मंदिर मदुरै


मंदिर की विशेषतायें :-

यह स्थान महान शैव सिद्धांत संत श्री मणिकवासागर का जन्मस्थल है जिन्ह्ने थिरुवसागम लिखी है। तमिल के महा कवि कबिलार का भी जन्म यहाँ हुआ।

 शनि के प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए लोग यहाँ प्रार्थना करते है।

मंदिर के कुंड में स्फिंक्स (पुरुष मिरुगम ) की अनूठी प्रतिमाएं है।  ये प्रतिमाएं ज्यादातर मंदिरो में नहीं होती। अकाल या सूखे से छुटकारा पाने के लिए लोग यहाँ प्रार्थना करते है।

मंदिर दौरे की कालावधि : प्रातः ७ से १२ तक और दोपहर ४ से ८ तक
पुरुष मुरुगन चित्र - मदुरै
पुरुष मुरुगन चित्र मदुरै

दिशा निर्देश : थिरुवथावूर मदुरई बस स्थानक से २५ किमी पर है।  बस की सुविधाएं उपलब्ध है।
                     मेलुर से ९ किमी दूर इस मंदिर के दर्शन के लिए बस उपलब्ध है
                      बस में मदुरई से ओथकडई आकर थिरुवथावूर तक ऑटो भी ले सकते है।

ईतिहास : असुरो के चले जाने के पश्च्यात , भगवान विष्णु ने देवताओ की रक्षा का भार संभाला। असुर जब ऋषि बृहु और काव्यमथा के पास पोहोचे तब श्री विष्णु ने उन्हें असुरों  को उन्हें सौप देने का आदेश दिया। काव्यमथा के आदेश न मानने पर विष्णु ने चक्र से उसका सर काट  दिया। इस पर बृहु ऋषि ने श्री विष्णु को यह अभिशाप दिया कि "तुम्हारे कई अवतार होंगे तथा एक अवतार में तुम्हे अपनी पत्नी का विरह होगा ". इस अभिशाप से मुक्ति पाने के लिए श्री विष्णु वेदपुरी (थिरुवाथावूर ) ए और शिव की पंचत्चरम गाकर आराधना की।

निकट के मंदिर : पत्थरो से निर्मित नरसिंह मंदिर यहाँ यनमलई में है।  स्थल पुराणो (कूदल मनमियम ) के अनुसार, संत रोमासा ने नरसिंह की मूर्ती पर्वत की गुफा में स्थापित की थी।

translated by - Ananya

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