स्थान :- शिव जी को अर्पित एकतीर्थस्थल महाराष्ट्र के कोंकण में देवगढ़ तालुका से १४ किमी दूरी पर स्थित है। इस स्थान को अपने आध्यात्मिक महत्त्व के लिए कोंकण काशी के रूप में भी जाना जाता है। कुंकेश्वर सिंधुदुर्ग तालुका में स्थित है।
मुख्य देवता - शिवजी यहाँ अपने लिंग स्वरुप में स्वयंभू उपस्थित है। यह स्थान भारत के १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक है और महाराष्ट्र में स्थित ४ ज्योतिर्लिंगों में से एक है। शिव लिंग यहाँ सफ़ेद रंग के पत्थर से बना है।
इसके अलावा नंदी की मूर्ती और श्री गणेश का एक पवित्र स्थल भी यहाँ मौजूद है।
मुख्य देवता - शिवजी यहाँ अपने लिंग स्वरुप में स्वयंभू उपस्थित है। यह स्थान भारत के १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक है और महाराष्ट्र में स्थित ४ ज्योतिर्लिंगों में से एक है। शिव लिंग यहाँ सफ़ेद रंग के पत्थर से बना है।
इसके अलावा नंदी की मूर्ती और श्री गणेश का एक पवित्र स्थल भी यहाँ मौजूद है।
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एक मुस्लमान जहाज़ी द्वारा बनाया गया शिव मंदिर कुंकेश्वर |
This photo of Kunkeshwar Temple is courtesy of TripAdvisor
इतिहास :- इस मंदिर की कहानी कुछ इस प्रकार है - एक बार एक मुस्लमान जहाज़ी अरबी महासागर में अपने जहाज़ पर यात्रा कर रहा था। समुद्र में बाढ़ जैसी स्थिति निर्माण हुई और जहाज़ डूबने लगा। कुछ दूर उसे एक प्रकाश केंद्र नज़र आया। उसने प्रार्थना की - मैं नहीं जनता तुम कौन हो पर अगर मेरी जान बच गयी तो मैं तुम्हारे लिए मंदिर बनवाऊंगा। जहाज़ स्थिर हो गया और कुंकेश्वर के तट पर आ पोहोचा। अपने वचन के अनुसार जहाज़ी प्रकाश को ढूंढने लगा पर उसे एक शिवलिंग मिला। तब उसने यह मंदिर बनवाया।
उसे पता था की उसका समुदाय एक हिंदू मंदिर के निर्माण और वहाँ पूजा के लिए उसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। उसे समुदाय से बहिष्कृत किया गया । वास्तव में, उसके राजा ने पहले ही उसे मौत की सजा का फैसला किया था । इसलिए उसने मंदिर की छत से कूद कर आत्महत्या कर ली। उनकी कब्र अभी भी पास में स्थित है और एक महान भक्त के रूप में सम्मानित किया जाता है।
वास्तुकला: - यह मंदिर 12 वीं सदी में अरब सागर के तट पर बनाया गया है।
मंदिर आठ स्तरीय है और आकार में अष्टकोणीय है। मंदिर के छत पर कलश भी स्थित है ।
शिवलिंग मुख्य गर्भगृह में रखा गया है। मुख्य मंदिर के पीछे कैलाश मंदिर के लिए एक छोटे मंदिर की संरचना है। यह एक सभा मंडप है और झाड़बत्तिओं के साथ सजाया गया है। शिवपञ्चयतन (शिव, पार्वती, नंदी, श्री देव मांगलिक और श्री गणेश) की कलाकृतियां दीवारों पर हैं। आसपास के क्षेत्र में एक विष्णु मंदिर भी है।
मंदिर के पास गुफाए भी हैं। इन गुफाओं की दीवारों को पुरुष और महिला रूपों के योद्धा चित्रों से सजाया गया है।
मंदिर ने श्रद्धालुओं / पर्यटकों के लिए "भक्त निवास" नामक एक 4 मंजिला छात्रावास बनवाया है।
कुंकेश्वर एक तटीय शहर है और यहाँ कई आम और नारियल के बगीचे है।
त्योहार / प्रार्थना: - महाशिवरात्रि त्योहार हजारों श्रद्धालुओं के साथ मनाया जाता है। यह इस मंदिर की यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय है।
नवरात्रि और गणेश चतुर्थी भी एक भव्य तरीके से मनाया जाता है।
छत्रपति शिवाजी महाराज इस मंदिर के प्रबल भक्त थे
दिशा निर्देश :-
सड़क मार्ग: - यह जगह मुंबई-गोवा राजमार्ग 17 पर स्थित है
ट्रेन द्वारा: - निकटतम रेलवे स्टेशन नंदगांव थित्त जंक्शन है। अन्य रेलवे स्टेशनों में कणकवली (50 किमी) हैं। बसें या शेयर ऑटो रिक्शा से मंदिर तक आया जा सकता है।
वायु द्वारा: - निकटतम हवाई अड्डा गोवा (पंजिम ) में है।
आस-पास के स्थान:-
कुंकेश्वर गुफाएं
देवगढ़ घाट
विजयदुर्ग किला
तारकरली
सैतवाड़े झरना
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