राजा विक्रमादित्य की पूजित काली मंदिर

राजा विक्रमादित्य की पूजित काली मंदिर 

कुम्बकोणम से अंनैकरै के मार्ग पर एक छोटासा गाव है काररूपुर या कोरन्नत्तु करुप्पूर।  इस स्थान पर एक प्राचीन शिव और काली मंदिर स्थित है।  इस स्थान को पहले पातालवणम् भी कहा जाता था और महादेव शिव यहा सुन्दरीश्वरर और देवी अभिराम अम्बल के नाम से जानी जाती है।

इस पेट्टी (पेट्टी = बक्सा ) काली मंदिर की एक रोचक ऐतिहासिक कहानी है।  यहाँ पर काली मूर्ति अधूरी थी।  माँ काली का सर कावेरी नदी में तैरता हुआ प्राप्त हुआ कुछ ३०० वर्ष पहले।  इनके सर को एक लकड़ी के बक्से में रखकर पूजा जाता है।  यह बक्सा केवल धार्मिक क्रियाओ के समय खोला जाता है।

जब वैदिक और प्राचीन साहित्यो को पढ़ा गया तब यह सामने आया की यह मंदिर उज्जैन के राजा विक्रमादित्य से समय ध्वंश हो गया था।  राजा विक्रमादित्य बोहोत बड़े माँ काली भक्त थे और यहाँ पूजा करते थे।

यह मंदिर एक ग्रामीण भाग में स्थित है तथा इसकी अवस्था पर ध्यान देना आवश्यक हो पड़ा है।  भक्तो का जमाव बढ़ते ही शायद इस मंदिर का नवनिर्माण शुरू हो सके।



काली मंदिर कोरन्नत्तु करुप्पूर
पेट्टी काली पूजा कोरन्नत्तु करुप्पूर
translated by Ananya


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