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वर्षा हेतु जाप/मंत्र तथा सूखे से राहत

वर्षा हेतु जाप/मंत्र तथा सूखे से राहत 

हमारे पूर्वजो ने अनेको ऐसे जाप तथा मंत्रो को ईजाद किया है जिससे देवताओ को प्रसन्न कर वर्षा ऋतू की प्राप्ति की जा सकती है।  इन मंत्रो का जाप भीषण ग्रीष्मकाल तथा सूखे के समय किया जाता है। 

इन मंत्रो का जाप आस्था और विश्वास के साथ किया जाना चाहिए।  कुछ मन्त्र निम्नलिखित है –

१) महाभारत का विराट पर्व – श्रृंगेरी के एक जगतगुरु , श्री श्री चन्द्रशेखर भारती मह स्वमिगल यह मानते है की महाभारत के विराट पर्व में वरुण बीज और वरुण मंत्रो को शक्ति है।  इस पर्व के उच्चार से विपुल वर्षा की प्राप्ति हो सकती है 

यह पर्व संस्कृत में पढ़े  :  http://www.sacred-texts.com/hin/mbs/mbs04001.htm

गुरु कृपा विलासम नमक पुस्तक में एक अद्भुत क्षण का उल्लेख है।  सन १९२५ ममे मदुरै के पास देवकोट्टई में वन पर्व का उच्चार किया गया था और इसके बाद वहा भारी वर्षा का लाभ मिला। 

मठ के प्रबंधक और स्वामीजी के बीच होते वार्तालाप के समय श्री गुरुपद शेखराम वह उपस्थित थे।  प्रबंधक ने कहा “बेहतर होगा अगर हम अपना शिबिर मदुरै ले जाये।  यहाँ ५-६ साल से वर्षा नहीं हुई है।  कुवे भी रिक्त है और हाथियों के सहारे से दूर से पनि लाना पड़ रहा है।  खाने का प्रबंध है परन्तु पनि के बिना मुश्किल हो रही है।” 

स्वामीजी ने कहा “अगर पहले पता होता तो हम यहाँ नहीं आते।  परन्तु अब आकर लोगो को निराश करना उचित नहीं होगा।  पुरोहित से कहो महाभारत की पुस्तक ले आये “
पुरोहित के साथ स्वामीजी ने विराट पर्व पढ़ना शुरू किया।  दोपहर के १ बजे हुए थे और २ बजट ही अचानक कही से घने बादल छा गए।  ठंडी हवा चली और बरसात होने लगी।  गुरुपद शेखराम इस वार्ता के साक्षी थे।  शाम के ४:३० तक बारिश होने पर स्वामीजी के पुरोहित को कपूर का दिया जलने के लिए कहा।  दिए के जलते ही बरसात रुक गयी।

प्रबंधक के पूछने पर स्वामीजी ने बताया की “हमने वरुण जाप किया।  वर्षा हुई।  महर्षि व्यास ने विराट पर्व में वरुण जाप जुड़ा हुआ है।  इसलिए जाप से वातावरण में बदलाव होता है “

इस घटना का सार तमिल में लिखे गुरु कृपा विलासम में पढ़े – 

२) वरुण मंत्र जाप  – यह जाप एक विस्तृत प्रक्रिया है और इसे करने के कई नियम है।  इस जाप को योग्य पुजारिओं द्वारा पनि भरे कुंड में कई घंटो तक  बैठ कर किया जाता है  । एक मलयालम चलचित्र “पैथृकम” में इस जाप का उल्लेख है। 

अमर्या उपा सूर्ये 

यभिर्वा सूर्य सहा 

ता नो हिमवंतवधवरम 

अपो देवरूप ह्वये 

यात्रा घाव पिबन्ति न सिन्दुभ्या कर्त्य हवी 

इसका अर्थ है – सूर्य के समीप इकट्ठे हुए जल और जहां भी सूरज के  साथ जुड़े हो हमारे बलिदान की प्रार्थना सुने।  हम पनि ,देव देवी को बुलाते है जहां हमारे  गोधन अपनी प्यास बुझाने जाते है और  प्रवाह बहने की प्रार्थना करते है। 

तत् तय यामी ब्रह्मा 

वनदमनस्तदा सस्ते 

यजमानो हविर्भी 
आहे अमनो वरएहा 

बोध्युरुससा माँ न 

अयुप्रा  मोई 
इस प्रार्थना से हम कृपा चाहते है की वरुण देव हमपर दया करे और अपने क्रोध से हमारे प्राण न ले। 

३) वरुण सूक्त  और पर्जन्य सूक्त  – वरुण सूक्त एक शक्तिशाली मंत्र है।  पर्जन्य का अर्थ है बरसात के बादल।  इन दोनों मंत्रो का उच्चार वेड के पंडितो द्वारा किया जाना चाहिए। 

४) अज़हि मलाई कन्ना पसुरम (तिरुप्पवै)- इस तमिल कविता को सूखेग्रस्त नदी तथा जल बैठकर समूह में जाप करना चाहिए।  इस कविता के बोल नीचे दिए गए है। 

आजही मजखै कन्ना ोंृ नई कई करावल 
आजही उल पुक्कु मुगन्धु कोडू आर्थु ेृ 
ऊजहि मुधलवन उरुवां पोल  मे करुथ्थु 
पाजहीय आम थोलुदै परपनाबन केएल 
आजही पोल  मिन्नी वलम्बुरी पोल  निंृ अधिरंधु 
थजहध सारंगा मुधैतथा सारा मजहै पोई 
वाज़ह उलगिनिल पेयधिधय नंगलुम 
मार्गैहि नीरादा मगिजहनधेलोर एम्बावा     4

अर्थ :ओ बरसात के देवता , जो समुद्र की तरह भव्य है , महासागर बनाने से न रुके , इतना पानी साँचे की आकाश तक जाये और श्याम रंग में रेंज।  भगवन आपके चौड़े कंधे है और अपने हाथ के चक्र के सामान चमके , ऐसा प्रभाव करे जो आपके शंख्ख फूकने से होता है।  अपने बाण चलाये और भारी वर्षा करवाये।  स्नान से धरती फुले फलेगी। 

५) थिरुवदवुर की पुरुष मिरुगम पूजा  – इन्हे मिस्र में स्फिंक्स भी कहा जाता है।  यह दक्षिण भारतीय मंदिरों में वाहनं के रूप में जाने जाते है।  स्फिंक्स के धड़ पुरुष तथा शीश सिंह का होता है।  यह थिरुवदवुर के एक मंदिर में स्थित है।  स्थानीय लोग वर्षा ऋतू के आगमन के लिए इनकी पूजा करते है।  आज कल यह प्रथा लुप्त हो चली है। 

६ ) अन्नपुरमा अष्टकम और अवहंथि होम
७ ) करीरी इष्टि नमक एक वैदिक अनुष्ठान 

८ ) अमृत वर्षिणी राग – इस राग के नाम का अर्थ है अमृत का बहाव।  इस राग से वर्षा का आगमन होता है। 

9) ऋष्य श्रृंग श्लोक – कैंची मह परिवा द्वारा सुझाया हुआ श्लोक जब तमिलनाडु में सूखे की स्थिति थी।

संस्कृत श्लोक –

तमिल –

अंग्रेजी –

Rishyasringaaya munaye vibhandaka sutaayaca
Namah saantadhipataye
Satyah sadvrishti hetave

Vibhandaka sutah sreemaan
Saantaadhipathir akalmashaha
Rishyasringa itignyaataha
Mahaa varsham prayachathu

Location: Kigga, Karnataka 577139, India

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