पिन्नावसाल स्वामिगल और आन्दवन पिचई

पिन्नावसाल स्वामिगल और आन्दवन पिचई

यह लेख ६०-७० वर्ष पुरानी कुछ घटनाओ पर आधारित है।  यह सुनाने में शायद कहानी लगे परन्तु इन घटनाओ की वास्तविकता दर्शाने के लिए अनेक साक्षी (विदेशी भी ) और प्रमाण है।

पिन्नावसाल स्वामिगल (श्री रामकृष्णानन्द/योगेश्वर स्वामी ) पिन्नावसाल , त्रिची में रहते थे।  उन्होंने श्री सदाशिव ब्रह्मेन्द्र को अपना मानसिक गुरु माना हुआ था।  उनका अधिस्थान या महासमाधि फाल्गुनी नदी के तट पर पिन्नावसाल में ही है।  पिन्नावसाल को कटटूर के नाम से बन्हि जानते है और यह पूवलूर के पास है।  कैलाशनाथर मंदिर के कुछ चित्र यहाँ उपलब्ध है। इसी मंदिर से कुछ दूरी पर इनका अधिस्थान स्थित है।  इस मंदिर में नित पूजा की जाती है और मानसिक शांति के लिए इस मंदिर का अवश्य भ्रमण करना चाहिए।
कैलाशनाथर मंदिर

                               कैलाशनाथर मंदिर प्रवेश
आन्दवन पिचई १८९९ में जन्मी एक स्त्री थी जिन्होंने अपने नश्वर शरीर का त्याग १९९० में किया।  उन्होंने देव मुरुगन पर अनेको भजन लिखे।  इंटरनेट पर कई भजन उपलब्ध है।

ये दोनों कैसे सम्बंधित है? - कहा जाता है की पिन्नावसाल स्वामिगा की आत्मा आन्दवन पिचई के शरीर में प्रवेश हुई। नीचे दिए गए लेखो में अनेको गुरुओ (श्री ब्रह्मेन्द्र , श्री स्वामी शिवानंद , श्री रमना महर्षि , कांची परमाचार्य ) के इस घटना के बारे में लिखा है

१) एक संक्षिप्त लेख  - http://namadwaar.wordpress.com/tag/pinnavasal-periyava/

२) एक विस्तृत लेख - http://sri-ramana-maharshi.blogspot.in/2008/06/andavan-pichhai_09.html


श्री पिन्नावसाल स्वामिगल

पिन्नावसाल स्वामिगल समाधी 



translated by Ananya


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