अरुणाचल प्रदेश हमारे सात बहन राज्यों के लेखो में दूसरा राज्य है। इस राज्य को चढ़ते सूरज की धरती भी कहा जाता है। इस राज्य में सबसे पुरातन बौद्धिक मठ - तवं मठ का घर है। भारत के बोहोत जनप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में भी अरुणाचल प्रदेश जाना जाता है।
इस लेख में हम देखेंगे आकाशी गंगा मंदिर को जो मलिनथान से १२ किलोमीटर पर पस्चिम सिआंग जिले में स्थित है।
इतिहास - इस मंदिर की ऐतिहासिक घटनाओ का वर्णन कालिका पुराण में है। माना जाता है की दक्ष यज्ञ के समय अपने पति (भगवन शिव) की अवहेलना न सुन पाकर सती (पारवती) यज्ञ कुण्ड में कूद पड़ी। तभी भगवान शिव ने सटी के जलते हुए बदन को उठकर तांडव नृत्य प्रारम्भ किया। इस नृत्य से विश्व का विनाश न हो इसीलिए श्री विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र चलकर सटी के देह के टुकड़े कर दिए। जहा भी एक टुकड़ा गिरा एक मंदिर उभरा। कुछ लोग ऐसा मानते है की यहाँ सटी का शीश गिरा था
एक अन्य कथा कुछ ऐसी है - शिशुपाल से विवाह तय हो जाने पर रुक्मिणी , भगवान श्री कृष्ण के साथ भाग चली। भागते हुए वे इस स्थान पर पोहोचे और पारवती देवी ने उनका स्वागत फूलो के हार (माला) से किया। इसीलिए यहाँ देवी को मालिनी और इस स्थान को मलिनथान कहते है।
मुख्य देवता - इस मंदिर में मुख्य प्रतिमा पारवती देवी की है।
विशेषताए - शक्ति पूजा करने वाले भक्तो में अकाशी गंगा एक पावन तीर्थ स्थल है। इस मंदिर की वास्तुशैली ओडिशा के मंदिरो की झलक दिखलाती है। करीबन पूरा मंदिर ही पत्थरो से बना है।
मंदिर के नीचे से बहने वाले ब्रह्मपुत्र नदी के कारन इस स्थान की सुंदरता और बढ़ जाती है। भक्त अक्सर नदी में डुबकी लगाकर अपनी पूजा याचना करते है।
यह माना जाता है की यहाँ एक बार जो ए उसे बार बार आना पड़ता है।
इस मंदिर की सबसे विशेष बात इसके पानी का कुण्ड है जिसे ऊपर से देखने पर कुण्ड में एक चमकीली वस्तु है ऐसा आभास होता है। परन्तु पानी के अंदर जाने पर वह वस्तु अदृश्य हो जाती है। इसी रहस्यमई घटना के कारन इस कुण्ड को पावन माना जाता है और भक्त यह भी मानते है की इस कुण्ड के पानी से रोग मुक्ति प्राप्त हो सकती है।
यात्रा - शीत काल या ठण्ड के मौसम में इस स्थान का भ्रमण करना बेहतर होता है। अकाशी गंगा राज्य के अन्य शहरो से अच्छी तरह से जुडी हुई है। मलिनथान तथा ईटानगर से बसे उपलब्ध है। निकट के हवाई अड्डे - लीलबारी और अलोंग है। .
निकट के दर्शनीय स्थान
शिव मंदिर
दोनी पोलो मंदिर
तवं मठ
सेल तालाब
नाम्दाफा नेशनल पार्क
संकेत स्थल -http://arunachalpradesh.gov.in/akashiganga.htm
Translated By Ananya
इस लेख में हम देखेंगे आकाशी गंगा मंदिर को जो मलिनथान से १२ किलोमीटर पर पस्चिम सिआंग जिले में स्थित है।
इतिहास - इस मंदिर की ऐतिहासिक घटनाओ का वर्णन कालिका पुराण में है। माना जाता है की दक्ष यज्ञ के समय अपने पति (भगवन शिव) की अवहेलना न सुन पाकर सती (पारवती) यज्ञ कुण्ड में कूद पड़ी। तभी भगवान शिव ने सटी के जलते हुए बदन को उठकर तांडव नृत्य प्रारम्भ किया। इस नृत्य से विश्व का विनाश न हो इसीलिए श्री विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र चलकर सटी के देह के टुकड़े कर दिए। जहा भी एक टुकड़ा गिरा एक मंदिर उभरा। कुछ लोग ऐसा मानते है की यहाँ सटी का शीश गिरा था
एक अन्य कथा कुछ ऐसी है - शिशुपाल से विवाह तय हो जाने पर रुक्मिणी , भगवान श्री कृष्ण के साथ भाग चली। भागते हुए वे इस स्थान पर पोहोचे और पारवती देवी ने उनका स्वागत फूलो के हार (माला) से किया। इसीलिए यहाँ देवी को मालिनी और इस स्थान को मलिनथान कहते है।
मुख्य देवता - इस मंदिर में मुख्य प्रतिमा पारवती देवी की है।
विशेषताए - शक्ति पूजा करने वाले भक्तो में अकाशी गंगा एक पावन तीर्थ स्थल है। इस मंदिर की वास्तुशैली ओडिशा के मंदिरो की झलक दिखलाती है। करीबन पूरा मंदिर ही पत्थरो से बना है।
मंदिर के नीचे से बहने वाले ब्रह्मपुत्र नदी के कारन इस स्थान की सुंदरता और बढ़ जाती है। भक्त अक्सर नदी में डुबकी लगाकर अपनी पूजा याचना करते है।
यह माना जाता है की यहाँ एक बार जो ए उसे बार बार आना पड़ता है।
इस मंदिर की सबसे विशेष बात इसके पानी का कुण्ड है जिसे ऊपर से देखने पर कुण्ड में एक चमकीली वस्तु है ऐसा आभास होता है। परन्तु पानी के अंदर जाने पर वह वस्तु अदृश्य हो जाती है। इसी रहस्यमई घटना के कारन इस कुण्ड को पावन माना जाता है और भक्त यह भी मानते है की इस कुण्ड के पानी से रोग मुक्ति प्राप्त हो सकती है।
यात्रा - शीत काल या ठण्ड के मौसम में इस स्थान का भ्रमण करना बेहतर होता है। अकाशी गंगा राज्य के अन्य शहरो से अच्छी तरह से जुडी हुई है। मलिनथान तथा ईटानगर से बसे उपलब्ध है। निकट के हवाई अड्डे - लीलबारी और अलोंग है। .
निकट के दर्शनीय स्थान
शिव मंदिर
दोनी पोलो मंदिर
तवं मठ
सेल तालाब
नाम्दाफा नेशनल पार्क
Translated By Ananya
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