श्री सुब्रमणीय मंदिर - कुआला लामपुर , मलेशिया


स्थान: - कुआला लामपुर , मलेशिया के पास गोम्बक जिले में स्थित, चूना पत्थर के बने गुफाओं की एक श्रृंखला है । बातू नदी पहाड़ी के नीचे बहती  है इसीलिए इन  गुफाओं को बातू गुफा कहा जाता है। भारत के बाहर, यह हिंदू धर्म से संबंधित लोगों के लिए सबसे लोकप्रिय तीर्थ मंदिरों में से एक है । इन गुफाओं में श्री सुब्रमणीय या भगवान मुरुगन को समर्पित एक मंदिर है ।


श्री सुब्रमणीय मंदिर मलेशिया

वास्तुकला :- मंदिर की ऊंचाई लगभग 400 फीट है। यहाँ की मूर्ति १३० फुट ऊँची और दुनिया की सबसे ऊंची मुरुगन मूर्तियों में से एक है । यहाँ की मूर्तिकला एक वास्तुकला आश्चर्य है ।

गुफाये लाखों वर्ष पुराने हैं, हालांकि , मूर्ति बहुत ही हाल में बानी है । यह मूर्ति के निर्माण के लिए लगभग 3 साल लग गए और 2006 में समाप्त हुआ। मूर्ति पर काम करने के लिए भारत से मूर्तिकारों को लाया गया।

1890 में ,थम्बूसामी पिल्लई नाम के एक व्यापारी, ने सबसे  पहलेसुब्रमणीय स्वामी को यहस्थान समर्पित करने का फैसला किया। उन्होंने एक छोटी प्रतिमा स्थापित की जो आज तक गुफा के अंदर है ।

पौराणिक कथा के अनुसार , देवी पार्वती दानवसूरपदमन को मारने के लिए एक वेल (भाला ) के साथ मुरुगन  को प्रस्तुत किया। मुरुगन ने दानव के खिलाफ जीत हासिल की है, आज वह  दिनथाईपूसम के रूप में मनाया जाता है।थम्बूसामी पिल्लई को इन गुफाओं के शीर्ष एक वेल (भाला ) की तरह लगा और इसलिए यहां एक मंदिर समर्पित करने के लिए वे प्रेरित हुए ।


पहाड़ी के नीचले तल  में कुछ उल्लेखनीय गुफाएं है:


  • रामायण गुफा - यहाँ श्री हनुमान की एक विशाल मूर्ति है और इसकी दीवारों को सजाने के लिए  महाकाव्य रामायण से लिए चित्र है
  • आर्ट गैलरी गुफा - इस गुफा को वल्लूर्वर कोट्टम के रूप में जाना जाता है।  महान तमिल कवि तिरुवल्लुवर की इस गुफा में शिलालेख और लेखन है 
  • अंधेरी गुफा - यह गुफापथरीले संरचनाओं के लिएजनि मणि हैं और पौधों तथा निसर्ग की सुंदरता यहाँ पर देखि जा सकती है। 


क्रियाएँ/पर्यटन : - इस जगह को मुख्य रूप से तीर्थ यात्रा पर्यटन के लिए जाना जाता है।  किसी भी प्रकृति या साहसिक प्रेमी के लिए यहाँ का दौरा अनिवार्य है ।



  • निर्देशित पर्यटन - मलेशिया के पर्यटन विभाग , गुफाओं के बारे में जानने के लिए टूर पैकेज प्रदान करता है।
  • पहाड़ की चढ़ाई  - 150 से अधिक चढ़ाई मार्गों के साथ,  इन गुफाओं में पर्वतारोहियों के लिए अनेक आनंद के क्षण है। 




त्यौहार : थाई के तमिल महीने के दौरान मनाया जाने वाला थाईपूसम मुख्य त्योहार का दिन है। देवता को इस दिन दूध चढ़ाते  है ।  देवता को इस दिन एक भव्य यात्रा के साथ गुफा में लाया जाता है। सबसे दिलचस्प हिस्सा है कवडी ( सजाया वाहक रथ ) सिरो पर रख कर चलते हुए भक्त।  कवडी के सिरे पर लगे सींख भक्तो की खाल भेद देते है। पवित्र विभूति इन जख्मों पर मला जाता है और कटार निकाली जाती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान कोई खून नहीं निकलता है  है।

समय: - सुबह ८ से १२:३० और दोपहर ४ से ६ तक

दिशा निर्देश :
वायु द्वारा: निकटतम हवाई अड्डा कुआलालंपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है
सड़क मार्ग: यह गुफाएं स्थित है 13 किमी उत्तर में कुआलालंपुर के।  यहाँ तक जालान कुचिंग और मध्यरिंग राज्यमार्ग के माध्यम से पहुँचा जा सकता है । सार्वजनिक बसों, टैक्सियों और निजी वाहनों को भी किराए पर ले सकते  हैं ।

Image courtesy - Wikipedia Images

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