औंढा नागनाथ ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र

औंढा नागनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर 
स्थान: - यह स्थान बस्मत उपखंड में महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में स्थित है। यह एक मराठवाड़ा क्षेत्र है और औंढा नागनाथ के तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है। यह जगह औरंगाबाद से लगभग 100 किलोमीटर दूर है।

मुख्य देवता: - भगवान शिव यहां अपने लिंग रूप में मौजूद है। यह मंदिर, देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। 

इतिहास : - पौराणिक कथा के अनुसार, यह मंदिर युधिस्ठिर (ज्येष्ठ पांडव) द्वारा अपने 14 साल के वनवास  (वन यात्रा) के दौरान बनाया गया है।

यह मंदिर महाराष्ट्र में हिंदू के वारकरी संप्रदाय (विठोबा भक्तों) द्वारा सम्मानित है। कहा जाता है की एक  दिन संत नामदेव, विसोबा खेचर और ज्ञानेश्वर प्रभु के भक्ति भजन गा रहे थे। मंदिर के पुरोहित, उनके गायन से नाराज होकर उन लोगो को  मंदिर के पीछे जाकर भजन करने को कहा। संतों ने वैसा ही किया। हालांकि, भगवान, को अपने भक्तो की भक्ति और गायन इतने अच्छे लग रहे थे की उन्होंने अपनी शक्ति से पूरा मंदिर ही घुमा दिया । आज तक, नंदी की प्रतिमा अन्य शिव मंदिरों के विपरीत इस मंदिर के पीछे है। हैरानी की बात है, अन्य हिंदू मंदिरो से अलग , यह मंदिर पश्चिम मुखी  है।

महान संत नामदेव यहाँ पैदा हुए थे । गुरु नानक ने भी इस मंदिर का दौरा किया है इसलिए यह  मंदिर, सिखों द्वारा भी सम्मानित है।

पौराणिक कथाओं  के अनुसार, ज्योतिर्लिंग एक ऐसी रोशनी की किरण हैं जिसकी न तो कोई शुरुआत है न ही कोई अंत । यह भगवान शिव की अनंत और असीमित शक्ति का प्रतिक हैं। 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में भगवान शिव की विभिन्न अभिव्यक्तिया  हैं।

वास्तुकला: - मंदिर यादव वंश के शासन के तहत 13 वीं सदी में निर्मित हुआ है। मूल रूप में यह एक सात मंजिला इमारत थी, लेकिन औरंगजेब के शासन के दौरान मुगल सेना के हमलों से इस मंदिर के ज्यादातर हिस्सों को नष्ट कर दिया गया था।

इस मंदिर की वास्तुशैली हेमदपंती है। पथरीली दीवारों और छत पर  हिन्दू देवी-देवताओं के विभिन्न नक्काशिया है।  प्रवेश द्वार और शिखर को  पुनर्निर्मित करने के उपरांत सफेद  रंग में रंगा गया है।

मुख्य गर्भगृह एक संकरी गुफा के अंदर है। यह गुफा लगभग तहखाने में है और बहुत कम लोग एक समय में अंदर जा सकते हैं। इस तरह के एक संकीर्णकक्ष में, मंत्र और भजन की आवाज़ पत्थरो से टकरा कर गूँजती है  और एक रहस्यमय वातावरण निर्माण करती  हैं।

मुख्य मंदिर परिसर में - महर्षि  वेद व्यास, भगवान गणेश, भगवान विष्णु,नीलकंठेश्वर , पांडवों, भगवान दत्तात्रेय और दशावतार की तरह अन्य देवताओं के लिए 12 छोटे मंदिरहै । मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक महान शिव भक्तिनि और मराठा महारानी अहिल्याबाई होल्कर की एक मूर्ति भी है।  पास में  एक शनि मंदिर भी है। सैश कुंड और बहूकुंड नमक दो पानी के कुन्ड भी यहाँ है। 

त्योहार / प्रार्थना: -महाशिवरात्रि और ​​दशहरा यहां के प्रमुख त्योहार हैं।  माघ के हिंदू महीनों से फाल्गुन तक , एक विशाल मेला मंदिर परिसर में आयोजित किया जाता है।

भगवान को चढ़ाया जाने वाला  मुख्य प्रसाद पंचामृत है - जो दूध, शहद, घी, दही और चीनी से बनाया जाता है ।

दिशा निर्देश :-
वायु द्वारा: निकटतम हवाई अड्डा औरंगाबाद हवाई अड्डा है।
रेल द्वारा:निकटतम रेलवे स्टेशन चोंडी है जो मुंबई, पुणे और हिंगोली जैसे शहरों से जुड़ा हुआ है। 
सड़क मार्ग: यह जगह अच्छी तरह से मुंबई, नागपुर और औरंगाबाद जैसे शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। महाराष्ट्र राज्य परिवहन की बसों नांदेड़, परभणी,चोंडी और हिंगोली से चलती हैं।

दूरध्वनी : +91 2456 260 034

पूजा  का समय: - सुबह ४ बजे से रात ९ बजे तक 

निकट के दर्शनीय स्थान :-
सच खण्ड हुजूर साहिब गुरुद्वारा - नांदेड़
तुळजादेवी  संस्थान

Image Courtesy:- Wikipedia

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