कामाख्या देवी मंदिर , असम (सात बहन राज्यों - Seven Sister States)

अरुणाचल प्रदेश, असम , मणिपुर, मेघालय, मिजोरम , नगालैंड और त्रिपुरा - सात बहन राज्यों अर्थात् पूर्वोत्तर भारत के सात राज्यों में हैं। इन्हे अंग्रेजी में - Seven Sister States कहते है।  यह अक्सर देखा गया ही की भारतवर्ष के बाकि राज्यों की तुलना में इन सातो राज्यों में पर्यटन या अन्य व्यवसाय काम ही है। हम इन राज्यों में से प्रत्येक में एक वास्तुकला के आश्चर्य , मंदिर या स्मारक के लिए एक लेख प्रत्येक समर्पित करेंगे ।

यह राज्य भले ही विविधता से भरे हो परन्तु यह काफी रूप में सामान है।  इन स्थानो की यात्रा करने से आपको आदिवासी जातियों की जीवन शैली , अनुपम नैसर्गिक सुंदरता के बारे में ज्ञान प्राप्त होगा। पूर्वोत्तर भारत में असम राज्य एक ऐसा राज्य है जिससे बाकि के ६ राज्य भारतीय मुख्य भूमि से जुड़े है।  इस लेख में हम असम के एक जनप्रिय मंदिर के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।

कामाख्या देवी मंदिर , असम 

कामाख्या देवी मंदिर , असम में गुवाहाटी के पश्चिम भाग में स्थित है।  यह मंदिर नीलाचल पर्वत पर है।  यह मंदिर सबसे पुराने शक्ति पीठो में से है।

मुख्य देवता  - यह मंदिर देवी कामाख्या को अर्पित है।  कहा जाता है की यहाँ इस स्थान पर देवी सती की "योनि " -गर्भ और अन्य प्रजनन भाग गिरे।  अन्य मंदिरो से अलग इस मंदिर में देवी की कोई चित्र या प्रतिमा नहीं है।  गुफा के दिवार पर देवी के योनि की प्रतिमा है जिसे पूजा जाता है।  इस मंदिर में अन्य स्वरूपों और १० महाविद्याओं जैसे - काली , तारा , सोदशी ,भुवनेश्वरी, भैरवी ,छिन्नमस्ता ,धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला के भी तीर्थ है।  यह शक्ति के स्वरुप है।
कामाख्या देवी मंदिर     
इतिहास  - कालिका पुराण के अनुसार कामाख्या देवी इच्छा पूर्ति करने वाली देवी है।  दक्ष यज्ञ के समय जब दक्ष राज ने शिव जी का अपमान किया तब सती यज्ञ कुण्ड में कूद पड़ी।  तब शिवजी ने सती का जलता हुआ शव उठाकर तांडव नृत्य शुरू किया।  विश्व के विनाश को बचाने के लिए श्री विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र चलाया और सती के बदन के टुकड़े कर दिए जहा भी ये टुकड़े पड़े वह एक शक्ति पीठ उभरा।  सती का गर्भ और प्रजनन भाग यहाँ गिरे।
यह माना जाता है की कामदेव के एक अभिशाप के करम अपना पौरुष खो बैठे थे।  तब उन्होंने शक्ति योनि की पूजा की और अपना पुरुषत्व पुनः प्राप्त किया।  कामदेव के नाम से इस स्थान का नाम कामाख्या है।

ब्रह्मा जैसे रचैता की के रचना के बल को भी शक्ति ने ललकारा।  तब से आजतक नारी की योनि की शक्ति के बिना ब्रह्मदेव भी रचना नहीं कर सकते।

नरक नाम के एक असुर की नज़र कामाख्या देवी पर पड़ी और वो उनसे विवाह करने की इच्छा रखने लगा।  कामाख्या देवी को उससे विवाह नहीं करना था इसलिए उन्होंने नरक को नीलाचल पर्वत से मंदिर तक एक रात में सीढ़िया बनाने का काम सौपा।  जैसे ही सीढ़िया बनने वाली थी देवी माँ ने एक मुर्गे की बांग सुनाई।  नरकासुर को यह लगा की सुबह हो गयी और उसने सीढ़ी बनाने का काम वही छोड़ दिया।  आज भी यह सीढ़िया अधूरी है।  हलाकि भक्तो के सुविधा के लिए पक्की सड़क है।

वास्तुशैली - यह मंदिर  सदी में बना बूत पूरी तरह से नष्ट हो चूका था।  इस मंदिर का पुनर निर्माण १७ वि सदी में कूच  बिहार के राजा नरनारायण के राज में हुआ। इस मंदिर का एक भव्य शिखर है जिसपे देवी देवताओ के चित्र बने हुए है।  इस मंदिर के तीन मुख्य कक्ष है।  पश्चिमी भाग बोहोत बड़ा है परन्तु पूजा के लिए उपयोग नहीं किया जाता।  मध्य कक्ष में देवी की एक छोटीसी प्रतिमा है जो हाल ही में स्थापित की गयी है।  इस कक्ष की दीवारो पर नरनारायण और अन्य देवी देवताओ के चित्र तथा कलाकृतिया है।

भक्त मुख्य द्वार पर कतार लगाकर भीतरी कक्ष तक जाते है जो एक अँधेरे से घिरी गुफा है।  यहाँ एक प्राकृतिक भूमिगत झरना है जिसका पानी पत्थर पर बने गर्भ के भीतर से बेहता है। कुछ सीढ़िया पानी के कुण्ड की ओर ले जाते है जिसका स्पर्श कर भक्त अपनी पूजा करते है।

विशेषताए  -  देवी के यह रहस्यमयी गर्भ तथा प्रजनन भाग, भीतरी कक्ष में स्थित है। यह मानते है की आषाढ़ (जून) के महीने में  देवी रजस्वला होती है।  इस समय ब्रह्मपुत्र का पानी लाल होकर बेहटा है और मंदिर ३ दिनों के लिए बंद रहता है।  इस पानी को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। इस अवधि को "अम्बुवाची" के समारोह के रूप में मानते है।

आज कल के ज़माने में सभी घटनाओ को  गंभीर रूप से विज्ञान का उपयोग से मूल्यांकन किया जा रहा है।  ब्रह्मपुत्र नदी के लाल पानी का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।  कुछ लोग मानते है की पुरोहित नदी में सिन्दूर दाल देते है।  तथापि रजस्वला होना , प्रजनन क्षमता को दर्शाता है. इसीलिए यह मंदिर स्त्री के नए जीवन को जन्म देने वाली शक्ति की पूजा करता है।

आंध्र प्रदेश में स्थित कामाख्या मंदिर देवीपुरम में है। अम्बुवाची के अलावा दुर्गा पूजा भी बड़े धूम धाम से मनाई जाती है।

दिशा निर्देश  -  इस मंदिर में हमेशा ही भक्तो की भीड़ रहती है और दर्शन के लिए २-३ घंटे भी लग जाते  है।
  • रोड से  - असम पर्यटन विभाग की बसे उपलब्ध है 
  • हवाई अड्डा  - निकट का हवाई अड्डा गुवाहाटी है जो भारत के सभी प्रमुख शहरो से जुड़ा है। 
  • रेलवे  - गुवाहाटी रेलवे स्थानक से यह मंदिर ८ किलोमीटर पर है।  कामाख्या का अपना रेलवे स्थानक भी है परन्तु यह छोटा सा है और बाकि शहरो से आसानी से जुड़ा हुआ नहीं है। 
निकट के स्थान  -
  • असम राज्य चिड़ियाघर और बॉटनिकल गार्डन
  • भुवनेश्वरी मंदिर
  • उमा नंदा मंदिर
  • नवग्रह मंदिर
  • वशिष्ठ आश्रम
संकेत स्थल  Welcome to Kamakhya Temple

कालावधि  - सुबह ८ से सूर्यास्त तक. प्रतिदिन मंदिर दोपहर में १ बजे भोग के समय बंद होता है।

translated by Ananya
Image courtesy - Wikipedia Images

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