त्रिशूलं शिव मंदिर , त्रिशूलं चेन्नई


त्रिशूलं शिव मंदिर , त्रिशूलं चेन्नई 

चेन्नई के लोग त्रिशूलं रेलवे स्थानक की जानकारी रखते है पर बोहोत से लोग ये नहीं जानते की इस जगह का नाम भगवान शिव के त्रिशूल पर रखा है। यह मंदिर एक छोटे पर्वत पर स्थित है।

मुख्य देवता - इस मंदिर के मुख्य देवता शिवजी है जिन्हे त्रिशूल नथर के नाम से जाना जाता है।  इसके अलावा श्री गणेश, श्री मुरुगन, अय्यपन,श्री ब्रह्मा और श्री श्रीनिवास पेरुमल के भी तीर्थ स्थल यहाँ उपस्थित है। यहाँ देवी को त्रिपुरसुंदरी कहते है।

मंदिर की वास्तुशैली - इस मंदिर में शिवजी अपने लिंग स्वरुप में पूर्व मुखी होकर विराजमान है।  देवी की मूर्ती भी ठीक सामने ही राखी हुई है। यह मंदिर १२  वीं शताब्दी में , कुलोथुंगा चोज़हा १  द्वारा निर्मित किया गया है।

यह मंदिर ४ पर्वतो के बीच स्थित है।  स्थानीय लोग इन पर्वतो को ४ वेदो सामान मानते है।  भीतरी प्रकार में गणपति दक्षिणमुखी है।

मंदिर का इतिहास - यह कहा जाता है रचैता श्री ब्रह्मा ने यह मंदिर स्थापित किया है।  ब्रह्मदेव के ५ सर थे और वे अपने आप में बोहोत गर्वित और घमंडी थे।  शिव जी ने उनका घमंड तोड़ने हेतु अपने त्रिशूल से उन्हे एक सर काट दिया। अन्य एक कहानी कुछ ऐसी है - नृह्मा देव ने एक अत्यंत सुन्दर नृतिका तिलोत्तमा की रचना की।  उनकी सुंदरता पे खुद ब्रह्मा देव अपने आप को संभल नहीं पाये।  तिलोत्तमा में उनकी अभिलाषा ठुकरा दी यह कहके की क्युकी वे रचैता है इसीलिए वे उसके पिता स्वरुप है।  इस बात पर शिव गण ब्रह्मा देव को उनकी लालसा का दंड देने उनके पीछे दौड़े।  ब्रह्म देव ने तब इन पहाड़िओ में छुपकर शिवजी से अपने किये की क्षमा मांगी।

समारोह - यहाँ प्रदोष और महा शिवरात्रि के त्यौहार बड़े धूम धाम से मनाये जाते है।

संकेत स्थल -  http://www.tirusulanathartemple.tnhrce.in/

दिशा निर्देश - यह मंदिर चेन्नई एयरपोर्ट के निकट है। यह त्रिशूलम् में गुइंडी -ताम्बरम मार्ग पर स्थित है। 


त्रिशूलं शिव मंदिर त्रिशूलं चेन्नई 

त्रिशूलं शिव मंदिर 

                        शिव मंदिर का इतिहास चेन्नई
त्रिशूलं शिव मंदिर चेन्नई 

शिव मंदिर
translated by ananya

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