वारंगल भद्रकाली मंदिर

वारंगल भद्रकाली मंदिर 

वारंगल भद्रकाली मंदिर , तेलंगाना में है जो देवी भद्रकाली का एक पुरातन मंदिर। भद्रकाली तालाब के तट पर हनमकोंडा और वारंगल के बीच में स्थित है।

इस मंदिर के शिलालेखो के अनुसार यह मंदिर राजा पुलकेशी २ जो चालुक्य राज्य से है उन्होंने बनवाया था।  यह मंदिर ६२५ ईसा  पूर्व में राजा के वेंगी क्षेत्र पर मिले विजय के स्वरुप में बनवाया गया। इस मंदिर में गोलाकार स्तम्भो की जगह चौकोन स्तम्भ है जो ककटियो ने बनवाया था।

ककटियो (ओरुगल्लु राज्य ) में देवी भद्रकाली को अपनी कुल देवी माना।  इस तालाब का निर्माण गणपति देव ने करवाया था। इसी समय मंदिर तक जाने का मार्ग भी बनवाया गया।
वारंगल भद्रकाली देवी 

वारंगल भद्रकाली मंदिर 

मंदिर की विशेषताए -

इस मंदिर की देवी भद्रकाली की छबि २.७ x २.७ मीटर लम्बे पत्थर पर बनायीं गयी है जिनकी आँखे शांतिप्रिय तथा ८ हाथो में शस्त्र और पैरो के नीचे शिव भगवान है।  श्री चक्र और उत्सव विग्रह भद्रकाली के सामने रखे हुए है।

भद्रकाली का वाहन - सिंह की प्रतिमे मुख्य कक्षा में ही है। इस मंदिर में ध्वज स्तम्भ और बलिपीठ  भी है।

इस मंदिर में और भी पुराने देवी देवता - उमा माहेश्वरी, शिव लिंग, सुब्रमण्य स्वामी , हनुमान और नवग्रह भी  है।

यह मंदिर  में अलाया शिकाराम , महा मंडपम से बढ़ाया गया।  हाल ही में श्री वल्लभ गणपति मंदिर और मंदिर परिक्रमा का भी योगदान किया गया।
वारंगल भद्रकाली कोहिनूर मणि


दुनिया का प्रसिद्ध कोहिनूर मणि वारंगल की भद्रकाली  में स्थापित किया गया है। सन १३२३ में यह हीरा चुरा राजाओ के हाथो से गुजरा। सन १८३९ में पंजाब के राजा रंजीत सिंह ने यह हीरा पूरी जगन्नाथ मंदिर में दे दिया था जहा से वह फिर दूसरी बार चुराया गया।

translated by Ananya

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