कामदेव मंदिर, थडिकोम्बु , दिंडीगुल , तमिल नाडु
भगवन श्री विष्णु को समर्पित तथा १००० वर्ष पुरातन एक मंदिर जहा श्री विष्णु, सौंदराज पेरुमल के
नाम से जाने जाते है; दिंडीगुल से ८ किलोमीटर की दूरी पर है। दिंडीगुल-करूर राष्ट्रीय मार्ग क्रमांक ७ पर
यह मंदिर स्थित है। इस मंदिर के विविध शिलालेख पांड्या राज्य तथा राय राज्य का वर्णन करते है।
सौंदराज का तात्पर्य है एक सुन्दर राजा। इस मंदिर का परिसर तथा देवताओं का कक्ष सुक्ष्म पत्थरो की
नक्काशियों से सज्जित है । नकाशी तथा मूर्तिकला में रूचि रखने वालो के लिए इस मंदिर का भ्रमण
करना अनिवार्य है । यहाँ महालक्ष्मी देवी भी एक और नाम से जानी जाती है - सौन्दर्यवल्ली । मदुरई के
एक कल्ललगर मंदिर से इस मंदिर का सम्बन्ध अक्सर जोड़ा जाता है ।
मंदिर की कुछ विशेषताएँ निन्मलिखित है :-
१. कामदेव का पावन स्थान - कामदेव या मन्मथ जैसा उन्हें संस्कृत में पुकारा जाता है अपनी सहचरी
रथी के साथ इस मंदिर में विराजमान है । विवाह विच्छेद या अलगाव से जूंझ रही जोड़िया यहाँ लगातार
५ बृहस्पतिवार को विषेश पूजा करते है ।
२. देवी सरस्वती तथा श्री हयग्रिव - ज्ञान अर्जन के इन देवी देवताओ के लिए भी इस मंदिर में विषेश
स्थान है । ज्ञान तथा शिक्षण के क्षेत्र में सफलता प्राप्ति करने के लिए भक्त यहाँ पूजा अर्चना करते है।
श्रावण नक्षत्र के तिरुवोणम तारक के दिन पर यह पूजा की जाती है । इस पूजा हेतु मधु, नारियल, गुड़
एवं इलायची की आवश्यकता होती है ।
३. कार्तवीर्य अर्जुन- पौराणिक लेखो के अनुसार, कार्तवीर्य अर्जुन वह देव है जो खोयी हुई या चुराई हुई
वास्तु प्राप्त करवाने में सहायता करते है| भारतवर्ष में शायद ये एकमेव मंदिर है जहा कार्तवीर्य अर्जुन का
पवित्र स्थान है। विशेष मंत्रोच्चार तथा यज्ञ एवं होम करके इनकी पूजा की जाती है ।
४. स्वर्ण आकर्षण भैरव - भैरव महादेव शिव का एक रूप है । सामान्य रूप से किसी भी विष्णु मंदिर में
महादेव का तीर्थस्थान नहीं होता । पर इस मंदिर की एहि विशेषता है की यहाँ श्री विष्णु और शिव जी
दोनो ही विराजमान है । रविवार के दिन राहु काल के समय, व्यापर-व्यवसाय की समस्या निवारण तथा
कर्जमुक्ति के लिए यहाँ पूजाएं की जाती है । भगवान गणेश तथा विष्णु दुर्गा आदि देवो की भी यहाँ इस
मंदिर में स्थापना की गयी हैं ।
५. धनवंतरी - आयुर्वेद तथा वैद्यक-शास्र के रचैता धनवंतरी भी यहाँ स्थापित है. भक्तगण अपने एवं
अपने निकट जानो के रोगो से उपचार हेतु यहाँ पूजा अर्चना करते हैं ।
६. संगीतमय स्तम्भ - मदुरई के मीनाक्षी मंदिर की तरह ही इस मंदिर के ७ स्तम्भ है जिनमे से
कर्णाटक संगीत के ७ सुरों के स्वर गूंजते है ।
इस मंदिर की सभी प्रतिमाओं में से १४ प्रतिमाएं अनूठे माने जाते है । कुछ प्रतिमाओं में सूक्ष्म विवरण
जैसे - नाखून, मांशपेशिया इत्यादि की ध्यानपूर्वक नक्काशी की गयी हैं । कुछ चित्र यहाँ प्रस्तुत है :
मंदिर के दौरे की कालावधि:- प्रातःकाल ७ से दोपहर १२ तक एवं दोपहर ४ से संध्याकाल ८:३० तक
पुजारियों से संपर्क का विवरण:- श्री बद्री जगन्नाथ भट्टड़ 98655 37340
श्री राजप्पा भट्टड़ 94420 30304
मंदिर दूरध्वनी क्रमांक:- +91- 451-255 7232
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