थिरुवल्ला वल्लभ स्वामी का २००० वर्ष पुरातन मंदिर

श्री विष्णु के १०८ पावन तीर्थ स्थलों में से एक मंदिर चंगशेर्री से (एर्णाकुलम और तिरुवनंतपुरम के बीच) १० किमी पर स्थित है।  यह मंदिर दक्षिण भारत के केरल में है।

इस मंदिर के प्रधान देवता श्री वल्लभ या श्री विष्णु है। इनकी प्रतिमा ८ फुट ऊँची और पूर्व मुखी है। इस मंदिर में प्रसाद के रूप में चन्दन का लेप नहीं बल्कि विभूति दी जाती है।  अक्सर देखा गया है की विभूति केवल शिव मंदिरो में बांटी जाती है

यह एक २००० वर्ष पुराण मंदिर है जिसका एक शिलालेख ५९ ईसवी में लिखा गया है। कहा जाता है की चेरा राज्य के महाराज चेरामन पेरुमल के स्वप्न में भगवन विष्णु प्रकट हुए और उन्हें एक विशेष स्थान पर खुदाई करने का निर्देश किया। इस खुदान के पश्चात यह प्रतिमा मिली और इसे मंदिर में स्थापित किया गया। इसी समय यह मंदिर बनवाया जा रहा था पर मंदिर को प्रतिमा की अपेक्षा में था। खुदान में प्राप्त प्रतिमा को इस मंदिर में रखकर महाराज ने जो नई प्रतिमा इस मंदिर के लिए बनवाई जा रही थी उसे मलाईन कीज़ः में भिजवा दिया।

2000 साल पुराने थिरुवल्ला वल्लभ शास्त्री मंदिर - केरल
2000 साल पुराने थिरुवल्ला वल्लभ
शास्त्री मंदिर केरल


इस मंदिर में दिन में ५ बार पूजा की जाती है और श्री विष्णु के ५ स्वरूपों की पूजा होती है -
प्रातः काल - ब्रह्मचारी
सुबह  - सन्यासी
दोपहर - राजा
संध्या - देव नारायण
रात्रि - देव नारायण अपनी सहचारी देवी लक्ष्मी के साथ

थिरुवल्ला वल्लभ बंसल गाजा उत्सव - केरल
थिरुवल्ला वल्लभ बंसल गाजा उत्सव
केरल
इस मंदिर में और भी देवताओं के तीर्थ स्थल है - वरह , दक्षिणमूर्ति ,अय्यपन , गणपति और यक्ष।  हर दिन यहाँ कथकली नृत्य का प्रदर्शन किया जाता है और यही पूजा का मुख्या प्रकार है।

Translated By - Ananya

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