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नैमिसरण्य – १०८ दिव्या देसं

नैमिसरण्य वैष्णव पूजा के 108 दिव्यादेसं में से एक है । यह कई हिंदू पुराणों में काफी महत्व की जगह के रूप में उल्लेख किया गया  है। राम चरित मानसमें भी इस स्थान का जिक्र है। इस स्थान का उल्लेख भी मत्स्य , स्कंद, वायु और शिवपुराणो में भी किया गया है । यहाँ कई ऋषियों के द्वारा भगवान की पूजा की जाती है। यह स्थान संत  रामानुजन द्वारा चित्रित , 8 स्वयं प्रकट क्षेत्रों में से एक है जिन्हे एक स्वयं व्यक्त  क्षेत्र भी कहते है ।

वैष्णव ही नहीं, बल्कि शैव और समर्थ प्रान्त के लोगो में भी यह  जगह एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है । यह दिव्य शक्तियों और पूजा और अनुष्ठान के ज्ञान प्राप्ति के स्थान के रूप में माना जाता है ।

मुख्य देवता :- यहाँ के मुख्य देवता श्री विष्णु है।  यहाँ उनके अरण्य अवतार की पूजा की जाती है।  देवता को यहाँ देवराजा पेरुमल या श्री हरी भी कहते है।

स्थल/वास्तुशैली :-  नैमिसरण्या , उत्तरप्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित है। इस स्थान का पुराना मंदिर , संत सूका (जिनकी तोते की चोंच है ) को। गोमती और चक्र तीर्थ यहाँ से बहते है।  चक्र तीर्थ बोहोत  पवन मन जाता है

इतिहास :- संत वेद व्यास इस स्थान पर अपने शिष्यों को वेदों और पुराणों का ज्ञान देते थे ।रोमहर्ष नामक , व्यास के एक शिष्य ने भी यहां पुराणों का पाठ किया। ऋषिसूका , श्री सोमहर्ष के पुत्र थे ।
इतिहास के अनुसार , संत तपस्या करने के लिए एक शुभ जगह चाहते थे । श्री विष्णु ने अपने चक्र (पहिया)चलना शुरू कर दिया और कहा कि पहिया बंद हो जाये वही पूजा करे।  कुछ समय बाद पहिये की ऊपरी सतह (नेमी) टूट गयी और इस स्थान का नाम नेमिसरण्य पड़  गया।

एक अन्य कहानी है – कलियुग में भगवान ब्रह्मा जो जग के निर्माता है , उन्होंने  इस जगह के पवित्रता से ही के बारे में बताया । ऋषि ददिची ने इस स्थान पर अपना देह त्यागा ताकि उनके शरीर को हथियार के रूप में असुरो के विनाश के लिए इस्तेमाल कर सके। पांडवों ने भी इस मंदिर का दौरा किया है और ऋषितुलसीदास ने इस स्थान पर राम चरित मानस लिखा था।

विशेषताए :- इस स्थान की सबसे विशेष बात यहाँ के तपोवन है।  इन तपोवणो के नाम है :-दण्डकारण्य ,सैंधवारण्यम ,जम्बुकारण्यम ,पुष्करणयम ,उत्पलारण्यम ,बदरीकारणयम , गुरुजंगलारण्यम ,अरुपुठरानयम , नैमिसारण्यम।

इस स्थान पर भारत के महान संतो जैसे सूका मुनि और व्यास मुनि ने तपस्या की।

प्रार्थना स्थल :-
व्यास गद्दी :- चक्र तीर्थ से करीब एक किलोमीटर दूर , घने वन के भीतर व्यास गद्दी है। यह माना जाता है की इस स्थान पर जो विष्णु सहस्रनाम या भगवद पुराण सुन लेता है उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।

सूका गद्दी :- यह संत सूका को अर्पित स्थान है जहा एक बोहोत पुराण वट वृक्ष है।  इस वृक्ष को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।

दिशा निर्देश :-
रेल द्वारा: – निकटतम रेल स्थानक सीतापुर है । यह स्थान इलाहाबाद और लखनऊ जैसे शहरों से जुड़ा हुआ है।
वायु द्वारा: – प्रमुख हवाई अड्डा लखनऊ में है ।
सड़क मार्ग: – यह जगह लखनऊ, राज्य की राजधानी से करीब 90 किमी दूर है। नियमित बसेंनैमिसरण्य तक ले जा सकते हैं ।

निकट के कुछ स्थान :-
अहोबिला मठ
नेपाली मंदिर
श्रीनिवास पेरुमल मंदिर
हनुमान गद्दी
पंचवटी

Labels: hindi articlesUP templesVishnu Mandir

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